बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय संविधान की संसदीय व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
2 भारत को एक समाजवादी राज्य क्यों कहा जाता है?
3. भारत एक गणराज्य क्यों है?
4. संविधान के आपात उपबन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
5. संविधान के नीति-निर्देशक तत्वों का उद्देश्य समझाइये।
6 सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक क्यों बनाया गया?
7. भारत में नागरिकों को एकल नागरिकता क्यों दी गयी है?
8 भारतीय संविधान की विशालता पर प्रकाश डाले।
9 'संविधान कठोरता एवं लचीलेपन का समन्वय है। पुष्टि कीजिए।
10. संविधान में नागरिको को कितने मौलिक अधिकार दिये गये हैं?
11. सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्नता एवं लोकतान्त्रिक गणराज्य
12. 'समाजवादी राज्य' टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ
भारत में संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के तहत किया गया था। संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने अपना कार्य समाप्त किया था। यह संविधान भारत में 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। भारत के संविधान की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
1. सर्वाधिक विशाल एवं लिखित संविधान - आइवर जेनिग्स का यह कहना बिल्कुल सही है कि, “भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा एवं विस्तृत संविधान है।" मूल भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग तथा 8 अनुसूचियाँ थीं, किन्तु वर्तमान समय के संविधान में 444 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं, जोकि 26 भागों में वर्णित हैं। विश्व का कोई भी अन्य संविधान भारतीय संविधान की भांति विशाल नहीं है।
2. सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य - प्रभुत्व संपन्न राज्य उसे कहते हैं जो बाह्य नियंत्रण से सर्वथा मुक्त हो और अपनी आन्तरिक तथा विदेशी नीतियों को स्वयं निर्धारित करता हो। आज भारत 'राष्ट्र मंडल' का सदस्य होते हुए भी एक प्रभुत्व संपन्न राज्य है।
3. लोकतंत्रात्मक राज्य - संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित 'हम भारत के लोग' से स्पष्ट है कि भारत एक लोकतांत्रिक राज्य है। भारत इसलिए भी लोकतंत्रात्मक राज्य है क्योंकि भारत की सम्प्रभुता जनता में निहित है तथा भारत का शासन जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों के द्वारा चलाया जाता है, जोकि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
4. पंथ निरपेक्ष राज्य - भारतीय संविधान में 'पंथ निरपेक्ष' शब्द 42 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। भारत इसलिए एक पंथ निरपेक्ष राज्य है क्योंकि भारत का नेपाल, पाकिस्तान, इत्यादि देशों की भांति अपना कोई राजधर्म नहीं है। यहाँ सभी धर्मों को पूर्ण स्वतंत्रता तथा समान आदर प्राप्त है।
5. समाजवादी राज्य - संविधान में 'समाजवाद' शब्द 42 वे संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। 'समाजवादी' शब्द का आशय, सरकार की ऐसी नीति से है, जिसमें 'मिश्रित व्यवस्था' का पालन करते हुए सरकार ऐसी लोक कल्याणकारी नीति बनायेगी जिसमें राष्ट्रीय धन का संकेन्द्रण मात्र कुछ हाथों में न होकर उसका समान वितरण हो तथा सभी नागरिकों को अपने विकास के समान अवसर प्राप्त हों।
6. गणराज्य - 'गणराज्य', उस राज्य को कहा जाता है, जिसका राज्याध्यक्ष अथवा प्रधान आनुवांशिक न होकर, जनता द्वारा निर्वाचित होता है। चूंकि भारत का राष्ट्रपति, जोकि राज्याध्यक्ष होता है, जनता द्वारा चुना जाता है, इसलिए भारत एक गणराज्य है। भारत का संविधान 1950 में लागू हुआ था। इसलिए कहा जा सकता है कि भारत 1950 में गणराज्य बना।
7. संसदीय शासन प्रणाली - भारत में संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था केन्द्र एवं राज्यों दोनों के लिए की गयी है। इस प्रणाली में कार्यपालिका, विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। इस व्यवस्था में कार्यपालिका के दो प्रकार होते हैं। एक, नाममात्र की कार्यपालिका दूसरी, वास्तविक कार्यपालिका। भारत में नाममात्र की कार्यपालिका राष्ट्रपति को कहा जाता है, जिसके पास शासन की औपचारिक शक्तियाँ होती हैं। जबकि वास्तविक शक्तियाँ, मंत्रिपरिषद के पास होती हैं, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है।
8. संघात्मक शासन व्यवस्था - संविधान द्वारा भारत में संघात्मक शासन प्रणाली की व्यवस्था की गयी है। संघात्मक शासन के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा ही अलग-अलग निर्धारित कर दी जाती है। भारत में सविधान के द्वारा ही केन्द्र को अधिक शक्तियाँ प्रदान कर उसे राज्यों की तुलना में अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
9. लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान - भारतीय संविधान लोकप्रिय प्रभुता पर आधारित संविधान है। अर्थात यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित संविधान है और इस संविधान द्वारा अन्तिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गयी है। सविधान की प्रस्तावना में कहा गया है "हम भारत के लोग दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर, 1949 को एतद्वद्वारा इस सविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।'
10. कठोरता और लचीलेपन का समन्वय - प्रणाली के आधार पर संविधान दो प्रकार के होते हैं - कठोर संविधान तथा लचीला संविधान। लचीला संविधान उस संविधान को कहते हैं जिसमें साधारण कानून और संविधानिक कानून में अन्तर नहीं किया जा सकता और संविधान में विधि निर्माण की साधारण प्रक्रिया के आधार पर संशोधन किया जा सकता है। इसके विपरीत, कठोर संविधान में संवैधानिक संशोधन के आधार पर कानून निर्माण की भिन्न तथा जटिल प्रक्रिया को अपनाया जाता है। इस प्रकार भारतीय संविधान न तो ब्रिटिश संविधान की भाँति लचीला है और न ही अमेरिका सविधान की भाँति अत्यधिक कठोर।
11. एकात्मक लक्षणों सहित संघात्मक शासन- भारतीय संविधान के प्रथम अनुच्छेद के अनुसार, "इण्डिया अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा। इस प्रकार भारत में संघात्मक शासन की स्थापना की गई है और इसमे संघात्मक शासन के सभी लक्षण विद्यमान हैं। संविधान ने शासन शक्ति एक स्थान पर केन्द्रित न कर केन्द्र और राज्य सरकारों में विभाजित कर दी है जो दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में स्वतन्त्र हैं। संविधान लिखित और बहुत अधिक सीमा तक कठोर है और इसे सर्वोच्च स्थिति प्रदान की गयी है। उच्चतम न्यायालय को संविधान का रक्षक बनाया गया है, जिसे संविधान की व्याख्या करने और केन्द्र एवं राज्यों के बीच उत्पन्न संवैधानिक विवादों के निर्णय का अधिकार दिया गया है। इस प्रकार भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था स्थापित की गई है, किन्तु इसमें कुछ ऐसे तत्व भी हैं जिनसे इसका झुकाव एकात्मक शासन की ओर स्पष्ट होता है जैसे - इकहरी नागरिकता, इकहरी न्यायपालिका, अखिल भारतीय सेवाएँ, राष्ट्रपति द्वारा राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति, संसद द्वारा राज्यों के नाम, क्षेत्र तथा सीमाओं में परिवर्तन आदि। अन्त में, राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकारों के अन्तर्गत संकटकाल की घोषणा द्वारा तो स्पष्ट रूप से संघात्मक व्यवस्था को एकात्मक व्यवस्था के रूप में बदला जा सकता है।
12. संसदीय प्रभुता तथा न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय - भारतीय संविधान की एक विशेषता यह है कि संविधान में इंग्लैण्ड की ससदीय प्रभुसत्ता तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की न्यायिक सर्वोच्चता के मध्ययम वर्ग का अनुसरण किया गया। इंग्लैण्ड में व्यवस्थापिका सर्वोच्च है और ब्रिटिश पार्लियामेण्ट द्वारा निर्मित कानून को किसी भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकती। इसके विपरीत, अमेरिका के संविधान में न्यायपालिका को सर्वोच्चता के सिद्धान्त को अपनाया गया, जिसका अर्थ है कि न्यायालय संविधान का रक्षक और अभिभावक है और न्यायालय संघीय व्यवस्थापिका अर्थात् कांग्रेस द्वारा निर्मित कानून या कार्यपालिका के आदेशों का परीक्षण कर, यह निश्चित करता है कि कोई विधि या आदेश संविधान के उपबन्धों के विरुद्ध तो नहीं है। न्यायालय का उल्लंघन करने वाली विधियों या आदेशों को उसके द्वारा अवैध घोषित कर दिया जाता है। न्यायालय की इस शक्ति को 'न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति' कहते हैं 'और इसके कारण अमेरिका में न्यायपालिका बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई है।
भारत में संसदात्मक व्यवस्था को अपनाकर संसद की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है. लेकिन इसके साथ ही संघात्मक व्यवस्था के आदर्श के अनुरूप न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने तथा उन विधियों और आदेशों को अवैध घोषित करने का अधिकार दिया गया है, जो संविधान के विरुद्ध हो।
13. मौलिक अधिकार - भारतीय संविधान के निर्माताओं ने ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत स्वयं अनेक अत्याचार सहन किये थे। अतः उनके द्वारा शासन की शक्तियों को मर्यादित करने की आवश्यकता अनुभव की गयी। अतः अमेरीका और आयरलैण्ड आदि देशों के संविधानों की तरह हमारे संविधान द्वारा भी नागरिकों को अधिकार प्रदान किए गए हैं। मौलिक अधिकारों का आशय नागरिकों को प्रदत्त ऐसे अधिकार और स्वतन्त्रताओं से है जिसे राज्य तथा सरकार के विरुद्ध भी लागू किया जा सकता है।
वर्तमान में संविधान द्वारा नागरिकों को इस प्रकार 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गये हैं। भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के सम्बन्ध में विशेष बात यह है कि संविधान द्वारा प्रदान किए जाने के साथ-साथ यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि इन अधिकारो पर किन परिस्थितियों में और किस प्रकार से प्रतिबन्ध लगाए जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान में संवैधानिक उपचारों के अधिकार के रूप में अधिकारों के क्रियांवयन के लिए पृथक से संवैधानिक व्यवस्था की गयी है।
14. मूल कर्तव्य - मूल संविधान में मूल कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन 42 वें सवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा मूल संविधान में एक नया भाग, भाग 4 (A) जोड़ा गया है और इसमें नागरिकों के मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। इस संवैधानिक संशोधन द्वारा भारतीय नागरिको को 10 मूल कर्तव्य प्रदान किये गये हैं। 86 वें संवैधानिक संशोधन - 2002 के द्वारा नागरिकों का 11 वाँ मूल कर्तव्य निर्धारित किया गया है।
15. राज्य की नीति के निदेशक तत्व - भारतीय संविधान के भाग 4 में शासन संचालन के लिए मूलभूत सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है और इन्हंर ही राज्य के नीति निर्देशक तत्व अर्थात नीति निश्चित करने वाले तत्व कहा गया है। भारतीय संविधान में नीति निर्देशक तत्व का विचार आयरलैण्ड के संविधान से लिया गया है और इन तत्वों की प्रकृति के सम्बन्ध में संविधान के 37 वें अनुच्छेद में कहा गया है कि "नीति निर्देशक तत्वों को किसी न्यायालय द्वारा बाध्यता न दी जा सकेगी, किन्तु तो भी ये तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं। इस प्रकार निदेशक तत्वों को वैधानिक शक्ति तो प्राप्त नहीं है, लेकिन इन्हें राजनीतिक शक्ति अवश्य प्राप्त है।
16. स्वतन्त्र न्यायपालिका और अन्य स्वतन्त्र अभिकरण -संघात्मक शासन व्यवस्था में न्यायपालिका संविधान की व्याख्याता और रक्षक होने के कारण, उसका स्वतन्त्र होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत किए गए मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए भी न्यायपालिका की स्वतन्त्रता नितान्त आवश्यक होती है। न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु संविधान में अनेक विशेष व्यवस्थाएँ की गयी हैं। यथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, न्यायाधीशों को पद की सुरक्षा प्राप्त होना, न्यायाधीशों के कार्यकाल में उनके वेतन में कमी न हो सकना और न्यायाधीशों के आचरण पर व्यवस्थापिका द्वारा विचार न कर सकना आदि स्वतन्त्र न्यायपालिका के अतिरिक्त संविधान के द्वारा अन्य स्वतन्त्र अभिकरणों की भी व्यवस्था की गयी है। जिसमें निर्वाचन आयोग नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक व लोक सेवा आयोग प्रमुख है।
17. एकल (इकहरी) नागरिकता - भारतीय संविधान के द्वारा संघात्मक शासन की स्थापना की गयी है और सामान्यतया ऐसा समझा जाता रहा है कि संघ राज्य के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त होनी चाहिए - प्रथम संघ की नागरिकता और द्वितीय इकाई या राज्य की नागरिकता। संयुक्त राज्य अमेरिका व अन्य संघीय राज्यों में इसी प्रकार की व्यवस्था है। लेकिन भारतीय संविधान में दोहरी नागरिकता नहीं है क्योंकि संविधान निर्माताओं का मत था कि दोहरी नागरिकता भारत की एकता को बनाये रखने में बाधक सिद्ध हो सकती है इसलिए भारतीय संविधान में एकल नागरिकता की व्यवस्था की गयी है।
18. एक राष्ट्रभाषा की व्यवस्था - राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने के लिए हमारे संविधान में हिन्दी को देवनागरी लिपि में भारतीय संविधान में राज्यभाषा घोषित किया गया है। इसके साथ ही संघीय सरकार के सभी कार्यालयों में संविधान लागू होने के 15 वर्ष बाद तक अंग्रेजी के प्रयोग की आज्ञा दे दी गयी। संविधान में यह भी कहा गया है कि संसद के द्वारा 15 वर्ष बाद भी आज्ञा जारी कर, अंग्रेजी के प्रयोग की अनुमति दी जा सकती है। 1965 में सहभाषा विधेयक पास कर अनिश्चितकाल तक हिन्दी के साथ अंग्रेजी को जारी रखने की अनुमति दी गयी है।
19. कल्याणकारी राज्य का आदर्श - संविधान द्वारा भारत में एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का प्रयास किया गया है। संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के अध्ययन से यह नितान्त स्पष्ट हो जाता है कि संविधान निर्माताओं द्वारा भारत के लिए एक आदर्श निश्चित किया गया है। भारत की केन्द्रीय और राज्य सरकारें भारतीय नागरिकों को पुष्टिकर भोजन, वस्त्र, निवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की अधिकाधिक सुविधाएँ प्रदान करें। उनके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाए और उनके द्वारा अधिक से अधिक सम्भव सीमा तक आर्थिक समानता की स्थापना की जाए। केन्द्रीय तथा राज्य सरकारें संविधान में निर्दिष्ट इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील हैं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नियोजन की पद्धति को अपनाया गया है।
20. विश्व शान्ति का समर्थक - वसुधैव कुटुम्बकम' भारतीय जीवन और संस्कृति का आदर्श रहा है और हमारे संविधान निर्माता भी इस आदर्श के प्रति सचेष्ट थे। इसी कारण संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में कहा गया है कि राज्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा की उन्नति का और राष्ट्रों के बीच न्याय तथा सम्मानपूर्ण सम्बन्धों को बनाये रखने का प्रबन्ध करेगा। व्यवहार के अन्तर्गत भी भारत राज्य द्वारा विश्व शान्ति बनाये रखने की प्रत्येक सम्भव चेष्टा की गयी है और युद्ध केवल उसी समय किए गए हैं, जबकि आत्मरक्षा में ऐसा करना आवश्यक हो गया है।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
- प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
- प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
- प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
- प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
- प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
- प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
- प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
- प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
- प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
- प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
- प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।